प्रो. दिवाकर दत्त शर्मा
विभागाध्यक्ष
प्रोफेसर, ज्योतिष विभाग
01.05.2024 से 31.03.2027
ज्योतिषशास्त्र ‘‘ज्योतिर्विज्ञान’’ नाम से प्रसिद्ध है इससे न केवल इसकी वैज्ञानिकता ही प्रकट होती है अपितु ग्रह नक्षत्रें की गति, स्थिति, युति आदि गणितीय पदार्थों के वेध के द्वारा दृक्सिद्धि के कारण यह शास्त्र विज्ञान की श्रेणी में प्रत्यक्षत्व की सिद्धि प्राप्त करता है। यह शास्त्र मुख्य रूप से सिद्धान्त, होरा और संहिता तीन स्कन्धों में समाहित है। श्री. ला. ब. शा. रा. संस्कृत विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) के स्थापना काल से ही ज्योतिष विभाग शास्त्रीय एवं वैज्ञानिक परम्परागत लोकोपयोगी दुर्लभ ज्ञान को सुरक्षित एवं सम्वर्धित करने तथा जनसामान्य को सुलभ करवाने हेतु कृतसंकल्प है, अतः विश्वविद्यालय का ज्योतिष विभाग संस्कृत माध्यम से स्नातक स्नातकोतर एवं शोध स्तर के पाठ्यक्रमों का संचालन करता है। विश्वविद्यालय के वर्तमान एवं प्रथम कुलपति प्रो. रमेश कुमार पाण्डेय महोदय के अथक प्रयासों के द्वारा पूर्व ज्योतिष विभागाध्यक्ष एवं वेदवेदांग संकायाध्यक्ष प्रो. शुकदेव चतुर्वेदी जी के चिन्तन मनन से परम्परागत एवं आधुनिक ज्योतिष ज्ञान के जिज्ञासुओं की पिपासा को शान्त करने हेतु प्रारम्भ किए गए अंशकालीन पाठ्यक्रमों का विश्वश्रुत विकासोन्मुखी प्रवाह निरन्तर गतिमान है। ज्योतिष विभाग द्वारा संचालित मुख्य पाठ्यक्रमों का विवरणः-
1. शास्त्री (बी.ए.) - यह त्रिवर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम सिद्धान्त ज्योतिष एंव फलित ज्योतिष दोनों विषयों में चलाया जाता है । इस पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु न्यूनतम अर्हता 10+2 या समकक्ष है। इसमें प्रवेश जून-जुलाई मास में प्रवेश परीक्षा द्वारा सम्पन्न होता है।
2. आचार्य (एम.ए.) यह द्विवर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम सिद्धान्त ज्योतिष एवं फलित ज्योतिष दोनों विषयों में चलाया जाता है। इस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने हेतु न्यूनतम अर्हता शास्त्री/ बी-ए- संस्कृत विषय के साथ अनिवार्य है। इसमें प्रवेश जून-जुलाई मास में प्रवेश परीक्षा द्वारा होता है।
3. विशिष्टाचार्य (एम.फिल.) - यह एकवर्षीय पाठ्यक्रम सिद्धान्त एवं फलित ज्योतिष दोनों विषयों में चलाया जाता है। इसमें प्रवेश आचार्य/ एम.ए. वैकल्पिक ज्योतिष विषय के साथ 55 प्रतिशत अंकों सहित उत्तीर्ण छात्रों को प्रवेश परीक्षा द्वारा जून-जुलाई मास में प्रवेश दिया जाता है।
4. विद्यावारिधि (पीएच.डी.) ज्योतिष शास्त्र के गम्भीर जटिल एवं लोकोपयोगी विषयों पर नवीन तथ्यों की जानकारी हेतु यह पाठ्यक्रम सिद्धान्त एवं फलित ज्योतिष दोनों विषयों में चलाया जाता है। इस अनुसन्धान एवं शोधपरक पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने हेतु न्यूनतम अर्हता आचार्य/ एम.ए. 55 प्रतिशत अंकों सहित ज्योतिष विषय में उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इस पाठ्यक्रम में प्रवेश वर्ष में एक बार प्रवेश परीक्षा के द्वारा होता है। यह न्यूनतम 3 वर्षीय एवं अधिकतम 6 वर्षीय अन्वेषणात्मक एवं अनुसन्धानात्मक पाठ्यक्रम है। उपरोक्त परम्परागत पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त ज्योतिषविभाग शास्त्रीय एवं लोकोपयोगी ज्ञान द्वारा जनसमूह को लाभान्वित करने हेतु हिन्दी भाषा के माध्यम से निम्न अंशकालीन पाठ्यक्रमों का संचालन करता है।
1. ज्योतिष प्रवेशिका- यह षाण्मासिक प्रमाणपत्रीय-पाठ्यक्रम है इसमें प्रवेश हेतु न्यूनतम अर्हता 10+2 या समकक्ष है।
2. ज्योतिष प्राज्ञ- यह एक वर्षीय डिप्लोमा-पाठ्यक्रम है। इस पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु न्यूनतम अर्हता ज्योतिष विषय के सामान्य ज्ञान के साथ 10+2 या समकक्ष या ज्योतिष प्रवेशिका उत्तीर्ण होना आवश्यक है।
3. ज्योतिष भूषण- यह द्विवर्षीय एडवांस-डिप्लोमा-पाठ्यक्रम है। इसमें प्रवेश हेतु न्यूनतम अर्हता 10+2 के साथ ज्योतिष प्राज्ञ या संस्कृत विषय सहित स्नातक होना अनिवार्य है।
4. भैषज्य ज्योतिष- (Medical Astrology) - यह एकवर्षीय डिप्लोमा-पाठ्यक्रम है। इस पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु न्यूनतम अर्हता ज्योतिष विषय के सामान्य ज्ञान के साथ 10+2 या समकक्ष है।
विश्वविद्यालय का ज्योतिष विभाग प्रतिवर्ष एक त्रिदिवसीय राष्ट्रिय कार्यशाला में धर्मशास्त्र के आधार पर व्रतपर्वोत्सवों का निर्णय करके एक प्रामाणिक और मानक पञ्चांग का निर्माण तथा प्रकाशन करता है। वर्तमान में ज्योतिष विभाग विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की एक बृहत्परियोजना (DRS-III)