प्रो. यशवीर सिंह
विभागाध्यक्ष
धर्मशास्त्र विभाग के प्रोफेसर
28.06.2022 से 28.06.2025
ऋषियों द्वारा धार्मिक आचार, व्यवहार, प्रायश्चित्त, भक्ति, इष्टापूर्त्त, नैतिकमूल्यबोध, सामाजिक तथा वैयक्तिक कर्त्तव्याकर्त्तव्य की व्यवस्था-हेतु धर्मशास्त्र का प्रणयन किया गया है । वेदविहित कर्मों के आनुपूर्व्य से कल्पनाशास्त्र रूपक-कल्प का यह अघõभूत है । इस शास्त्र में मनु, याज्ञवल्क्य, पराशर, पारस्कर, गौतम, नारद, बृहस्पति, बौधायन, जीमूतवाहन, विज्ञानेश्वर, माधवाचार्य, कौटिल्य-प्रभृति सूत्र, स्मृति, भाष्य एवं तात्कालिक निबन्धात्मक प्राचीन-ग्रन्थों के अध्ययन के साथ ज्वलन्त युगोपयोगी एवं आधुनिकता के साथ साम×जस्य रखने वाले विषयों जैसे स्त्री-अधिकार, हिन्दूविधि, संस्कार, नैतिकशिक्षा, पर्यावरण, मानवाधिकार, राजधर्म, दण्ड, अपराध प्रभृति विषयों पर अध्ययन-अध्यापन किया जाता है, जिससे सामाजिक विधि-व्यवस्थाओं के उन्नत दर्शनों का अध्ययन और मानवीय मूल्यों के प्रणयन के साथ-साथ आत्मिक विकास होता है ।