शिकायत निवारण प्रकोष्ठों की स्थापना निम्नलिखित सामान्य सिद्धांतों का पालन करने के लिए की गई है:
- कैम्पस समुदाय को शिकायत निवारण तंत्र के बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।
- छात्र/कर्मचारियों की प्रत्येक शिकायत दर्ज की जानी चाहिए तथा उसकी पावती दी जानी चाहिए।
- सामान्य नियम के अनुसार कोई भी शिकायत तीन महीने की सीमा से अधिक लंबित नहीं रहनी चाहिए।
- संबंधित शिकायत निवारण प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवं सदस्य-सचिव को व्यक्तिगत रूप से शिकायत सुनने के लिए, कम से कम सप्ताह में एक बार, निश्चित समय पर स्वतंत्र रूप से उपलब्ध रहना चाहिए।
जी.आर.सी.एस. की शक्तियां और कार्य
- छात्रों/कर्मचारियों को व्यक्तिगत रूप से या समूह के रूप में सीधे प्रभावित करने वाले मामलों के संबंध में उनकी लिखित और हस्ताक्षरित शिकायतों और याचिकाओं पर विचार करना।
- शिकायतों की जांच करना, सिफारिशें करना तथा निवारण या उपयुक्त कार्रवाई के लिए संबंधित प्राधिकारियों - कुलपति, शैक्षणिक परिषद और कार्यकारी परिषद को रिपोर्ट करना।
- यदि दस्तावेजों में लगाए गए आरोप निराधार पाए जाएं तो शिकायतकर्ता के खिलाफ उचित कार्रवाई की सिफारिश करना।
छात्र शिकायत निवारण समिति:
अध्यक्ष: कुलपति द्वारा नामित किया जाएगा
सदस्य:
- 3 विद्यार्थी परिषद के प्रतिनिधि,
- 3 कुलपति के मनोनीत व्यक्ति।
शिक्षक शिकायत निवारण समिति:
- कार्यकारी परिषद द्वारा एक समिति गठित की जाएगी जिसमें निम्नलिखित सदस्य होंगे:
- कुलपति या उनके प्रतिनिधि: अध्यक्ष
- शिक्षक समुदाय से लिंग, अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच प्रतिनिधि
- कुलपति द्वारा नामित व्यक्ति समिति का सचिव होगा
गैर-शिक्षण शिकायत निवारण समिति:
- कुलपति द्वारा नामित अध्यक्ष
- गैर-शिक्षण समुदाय से लिंग, अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच प्रतिनिधि
- रजिस्ट्रार या उनके द्वारा नामित व्यक्ति समिति का सचिव होगा
शिकायतों के निवारण की प्रक्रिया
छात्रों और हितधारकों की शिकायतों का निवारण विश्वविद्यालय की सर्वोच्च प्राथमिकता है। छात्रों की शिकायतों से निपटने का कार्य डीन-छात्र कल्याण को सौंपा गया है। कर्मचारियों और अन्य सदस्यों की शिकायतों का निपटारा विधिवत गठित समितियों द्वारा किया जाता है।